5 बातें जो आपको वोडाफोन आइडिया AGR केस में जाननी चाहिए

वोडाफोन आइडिया ने सुप्रीम कोर्ट में एक नई संशोधित याचिका दाखिल की है, जिसमें कंपनी ने अपने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) बकाया पर लगने वाले ब्याज और पेनाल्टी माफ करने की मांग की है। इससे पहले कंपनी केवल AGR बकाये की पुनर्गणना की मांग कर रही थी, लेकिन अब राहत के लिए बड़ी गुजारिश की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 6 अक्टूबर तक के लिए टाल दी है। 

5 बातें जो आपको वोडाफोन आइडिया AGR केस में जाननी चाहिए 

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VI AGR case update 5 Things

1. वोडाफोन आइडिया ने सुप्रीम कोर्ट में संशोधित याचिका दाखिल की है

वोडाफोन आइडिया ने सुप्रीम कोर्ट में एक नई संशोधित याचिका दाखिल की है। इस याचिका में कंपनी ने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) बकाया पर लगने वाले इंटरेस्ट और पेनाल्टी माफ करने की गुजारिश की है। साथ ही कंपनी ने AGR बकाया के पुनर्गणना (Recalculation) की भी मांग की है। पहले वोडाफोन सिर्फ AGR लायबिलिटी के दोबारा कैलकुलेशन पर जोर दे रही थी, लेकिन अब वह पूरी माफी की गुजारिश कर रही है।

2. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 6 अक्टूबर तक टाल दी है

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका की सुनवाई 6 अक्टूबर 2025 तक के लिए टाल दी है। अदालत ने इस बात को ध्यान में रखा कि कंपनी द्वारा दी गई मांगों पर गहन विचार होना चाहिए। इस दौरान कंपनी को कोई जवाब नहीं मिला है, और मामले की अगली सुनवाई उसका भविष्य तय करेगी।

3. सरकार ने वोडाफोन की याचिका का विरोध नहीं किया है

केंद्र सरकार ने बताया है कि वह वोडाफोन आइडिया की AGR बकाया पर ब्याज और जुर्माने की माफी की याचिका का विरोध नहीं करेगी। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मुद्दे पर समाधन निकाला जाना चाहिए क्योंकि सरकार वोडाफोन आइडिया की 49% हिस्सेदार है। इसका मतलब है कि सरकार की भी हितधारक के रूप में जिम्मेदारी है कि कंपनी को राहत मिले और कंपनी का वित्तीय बोझ कम हो।

4. कंपनी पर भारी AGR बकाया और आर्थिक दबाव

वोडाफोन आइडिया के ऊपर करीब 83,400 करोड़ रुपये का AGR बकाया है। इसमें पेमेंट के साथ जुर्माना और इंटरेस्ट भी शामिल हैं, जो कुल लगभग 2 लाख करोड़ रुपये हैं। कंपनी अभी मार्च से ₹18,000 करोड़ की सालाना किस्त चुकाने के लिए तैयार है, लेकिन जुर्माना और इंटरेस्ट ने उस पर अतिरिक्त बोझ डाला है।

5. कोर्ट के आदेश और कंपनी की मांगें

वोडाफोन आइडिया ने सुप्रीम कोर्ट में एक उदाहरण के तौर पर मिनिरल एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी बनाम स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया मामले का हवाला दिया है, जिसमें न्यायालय ने ब्याज और पेनाल्टी माफ करने के आदेश दिए थे। कंपनी ने कोर्ट से FY2017 और उससे पहले की नई डिमांड को रद्द करने की मांग भी की है, क्योंकि अदालत ने पहले ही इस अवधि के लिए फैसले दिए हैं।

       यह याचिका वोडाफोन आइडिया के भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे कंपनी के ऊपर वित्तीय दबाव में काफी कमी आ सकती है। सरकार भी कंपनी की हिस्सेदार होने के नाते मामले में सकारात्मक रुख दिखा रही है। कोर्ट का अगला फैसला न केवल वोडाफोन आइडिया के लिए, बल्कि पूरे टेलीकॉम सेक्टर के लिए अहम संकेत देगा।

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